केंद्रीय मंत्री के संसद में अवैधानिक बताने के बाद भी टोल प्लाजा को न हटाया जाना लोगों से हो रही नाइंसाफी की अनदेखी का अकेला उदाहरण नहीं है। दो महीने आंवला के सांसद नीरज मौर्य की ओर से भी इस बारे में नितिन गडकरी को पत्र लिखा गया था, इस पर उन्होंने एनएचएआई के अधिकारियों को जांच का आदेश दिया था। सांसद नीरज मौर्य का कहना है कि केंद्रीय मंत्री के आदेश पर एनएचएआई अधिकारियों ने कोई जांच नहीं की, न उन्हें अब तक किसी प्रगति से अवगत कराया गया है।
कानून का बैरियर तोड़कर एनएचएआई ने फरीदपुर में टोल प्लाजा बना दिया। ऐसे ही कई और टोल प्लाजा देश भर में बनाए जाने का मुद्दा केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के सामने रखा गया तो मई 2022 में उन्होंने संसद में इन्हें अवैधानिक बताया और वादा किया कि तीन महीने के अंदर सारे अवैध टोल प्लाजा हटा दिए जाएंगे। फरीदपुर का अवैध टोल प्लाजा फिर भी नहीं हटा। अब भी वह दिल्ली-लखनऊ हाईवे पर गुजरने वालों की जेब से हर महीने जबरन करीब 10 करोड़ निकाल रहा है।
फरीदपुर में यह टोल प्लाजा बनाए हुए दो साल से ज्यादा वक्त हो चुका है। इसे अवैध इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि फतेहगंज पश्चिमी के टोल प्लाजा से उसकी दूरी सिर्फ 44 किमी है और एनएचएआई के ही मानकों के अनुसार दो टोल प्लाजा के बीच न्यूनतम 60 किमी होनी चाहिए। इसी वजह से फरीदपुर में टोल प्लाजा बनने के बाद से उसका विरोध किया जा रहा है।
फरीदपुर टोल प्लाजा लखनऊ-दिल्ली हाईवे पर बना हुआ है, एनएचएआई के आंकड़ों के मुताबिक इस टोल प्लाजा से रोज 28 से 30 हजार वाहन गुजरते हैं जिनसे होनी वाली राजस्व आय 30 से 35 लाख तक की होती है।
फरीदपुर टोल प्लाजा के आसपास के इलाकों के लोगों का हाल जबर मारे और रोने न दे जैसा है। फरीदपुर में इस अवैध टोल का बनना उन पर सबसे ज्यादा भारी पड़ रहा है। हालत यह है कि फरीदपुर क्षेत्र में ही इधर से उधर जाने पर टोल टैक्स देना पड़ रहा है।