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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार रविवार सुबह दिल्ली के आनंद विहार के आसपास का एक्यूआई 405 दर्ज किया गया है। वायु प्रदूषण के कारण ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे फेफड़ों के संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं कि सांस की दिक्कत होने पर क्या करें?राजधानी दिल्ली की हवा दिवाली से पहले ही ‘जहरीली’ हो गई है। पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और अन्य कारणों से एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) अब 400 पार कर गया है। इसे बेहद खराब स्तर का माना जा रहा है। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि अगले हफ्ते दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की आशंका है, जैसा कि पिछले कई वर्षों से देखा जाता रहा है।
इस तरह की हवा में सांस लेना जानलेवा हो सकता है। हवा की खराब होती गुणवत्ता न सिर्फ पहले से ही श्वसन समस्याओं के शिकार लोगों के लिए दिक्कतें बढ़ा देती है, साथ ही नए मरीजों में भी सांस की समस्याओं के मामले बढ़ सकते हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार रविवार सुबह दिल्ली के आनंद विहार के आसपास का एक्यूआई 405 दर्ज किया गया है। अन्य इलाकों में भी हालात ऐसे ही हैं। पिछले 10-15 दिनों से लगातार दिल्ली की हवा बहुत खराब स्तर की बनी हुई है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों से प्रदूषण से बचाव के लिए उपाय करते रहने, मास्क पहनने और अनावश्यक रूप से सुबह-शाम घर से बाहर न निकलने की अपील की है।
बच्चे और बुजर्गों में सांस की समस्या
हवा की बिगड़ती गुणवत्ता के दुष्प्रभावों को जानने के लिए हमने दिल्ली स्थित एक निजी अस्पताल में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ विनीत शुक्ला से बातचीत की। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से ओपीडी में लगातार सांस की समस्या वाले मरीज बढ़ रहे हैं। बच्चे और बुजर्गों में ये दिक्कत अधिक देखी जा रही है, युवा वयस्क भी इसका शिकार हो रहे हैं।
डॉक्टर ने कहा, जिन लोगों को पहले से ही अस्थमा या ब्रोंकाइटिस जैसी सांस की कोई दिक्कत है उनके लिए हवा की ऐसी गुणवत्ता कई तरह की दिक्कतों को बढ़ाने वाली हो सकती है।
वायु प्रदूषण से फेफड़े हो रहे हैं क्षतिग्रस्त
वायु प्रदूषण फेफड़ों को क्षति पहुंचा रहा है। इससे ब्रोंकाइटिस और निमोनिया जैसे फेफड़ों के संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है। कुछ अध्ययनों से ये भी पता चलता है कि पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) जैसे सूक्ष्म कण सांस के माध्यम से फेफड़ों में पहुंचकर फेफड़ों के कैंसर का खतरा भी बढ़ा सकते हैं। अगर आपको भी इन दिनों प्रदूषण के कारण सांस लेने में कोई समस्या हो रही है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर से सलाह लें।
डॉक्टर विनीत कहते हैं, बढ़ते प्रदूषण के कारण मार्निंग वॉक पर न जाएं, सुबह-शाम घर से बाहर जाते समय मास्क जरूर लगाएं और धूम्रपान बिल्कुल न करें। समय पर श्वसन संबंधित समस्याओं के लक्षणों की पहचान करना और इलाज प्राप्त करना बहुत आवश्यक हो जाता है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
डॉ विनीत बताते हैं, प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण कई प्रकार की दिक्कतें बढ़ने की आशंका रहती है। बहुत अधिक खांसी आना और घरघराहट की समस्या होना, नाक और गले में जलन, सांस लेते समय दर्द महसूस होना या सांस फूलने की समस्या होना प्रदूषण के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इसके अलावा वायु प्रदूषण अस्थमा अटैक या सीओपीडी के लक्षणों को बढ़ाने वाला भी माना जाता है।
ओपीडी में निमोनिया और संक्रमण के लक्षणों वाले मरीज बढ़ रहे हैं। ये सभी लक्षण गंभीर हो सकते हैं, इसलिए प्रदूषण से बचाव करना और समय पर डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी है।
सांस की दिक्कत हो तो क्या करें?
अगर आपको अस्थमा या सांस की कोई समस्या है और ये प्रदूषण के कारण ये ट्रिगर हो रही है तो तुरंत अपने डॉक्टर द्वारा दिए गए इनहेलर का उपयोग करें। सांस लेनें में दिक्कत हो रही है तो पहले आरामदायक स्थिति में बैठें और आराम से सांस लेने की कोशिश करें। स्ट्रेस न लें, इससे सांस की दिक्कत और बढ़ सकती है।
प्रदूषण के कारण होने वाली दिक्कतों से बचाव के लिए दिनभर में खूब पानी पीते रहें, जिससे वायुमार्ग में नमी बनी रहे। प्राणायाम जैसे अभ्यास करें। धूम्रपान आपका सबसे बड़ा दुश्मन है, इससे सांस की दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। इसलिए धूम्रपान बिल्कुल न करें। सांस की दिक्कतों को आपातकालीन समस्या माना जाता है इसलिए समय रहते डॉक्टर की सलाह जरूर है।